सहकारी समितियों पर जीएसटी की नई समीक्षा: क्या 20 लाख के टर्नओवर वाली संस्थाएं अब कर के दायरे में आएँगी?

केंद्रीय जीएसटी विभाग द्वारा जारी की गई एक हालिया रिपोर्ट ने सहकारी समितियों के लिए नए कर नियमों पर चर्चा छेड़ दी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राजनीतिक दलों या अन्य संगठनों द्वारा संचालित उन सहकारी समितियों का, जिनका वार्षिक टर्नओवर 20 लाख रुपये से अधिक है, जीएसटी के दायरे में आने का निहितार्थ है। 


यह निर्णय सहकारी क्षेत्र में पारदर्शिता प्रदान करने और कर चोरी पर नियंत्रण लगाने के लिए लिया गया है। रिपोर्ट में विशेष रूप से सहकारी समितियों द्वारा संचालित समूह जमा योजनाएँ (GDS) और मासिक जमा योजनाएँ (MDS) का उल्लेख किया गया है। विभाग का मानना है कि ये योजनाएँ चिट फंड जैसी हैं, इसलिए इन पर 18% की जीएसटी दर लगाई जाएगी। इस नए नियम का उद्देश्य सहकारी समितियों के कामकाज को स्पष्ट बनाना और वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा देना है।

केरल उच्च न्यायालय ने उठाए सवाल


यह मामला तब सुर्खियों में आया जब केरल उच्च न्यायालय ने पथानामथिट्टा की कुछ सहकारी समितियों में जमाकर्ताओं की शिकायतों का संज्ञान लिया। इन समितियों पर आरोप लगाया गया कि जमाकर्ताओं के पैसे डूब गए हैं और धोखाधड़ी की घटनाएँ हुई हैं। अदालत ने जीएसटी विभाग से एक रिपोर्ट मांगी, जिसमें यह सामने आया कि कई सहकारी संस्थाएँ बैंकों की तरह जमा स्वीकारते हुए ऋण दे रही हैं, लेकिन इसके बावजूद वे जीएसटी, पंजीकरण शुल्क और स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान नहीं कर रहीं।

एमिकस क्यूरी (न्यायिक सलाहकार) की रिपोर्ट में यह कहा गया कि ये समितियाँ चिट फंड अधिनियम, 1982 का उपयोग कर करों से बचने का प्रयास कर रही हैं, जिससे उनके कार्यों पर गंभीर प्रश्न उठने लगे हैं।

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