अंडमान सागर में मिल सकता है भारत का 'तेल खजाना', बदल सकता है देश की ऊर्जा तक़दीर!
नई दिल्ली: भारत ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़े बदलाव की दहलीज पर खड़ा हो सकता है। अंडमान सागर में गहराई में छिपे कच्चे तेल के विशाल भंडार के संकेत मिले हैं, जो अगर पुष्टि पाते हैं, तो यह खोज भारत को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में निर्णायक कदम दिला सकती है। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने संकेत दिए हैं कि यह खोज ‘गयाना मॉडल’ की तरह भारत की अर्थव्यवस्था को नया आकार दे सकती है।
184,440 करोड़ लीटर कच्चे तेल का अनुमान
सूत्रों और रिपोर्ट्स के अनुसार, अंडमान सागर के समुद्री तल में करीब 184,440 करोड़ लीटर कच्चे तेल के भंडार होने की संभावना जताई गई है। यह मात्रा न केवल भारत की ऊर्जा जरूरतों को दशकों तक पूरा कर सकती है, बल्कि देश को तेल आयात पर निर्भरता से भी मुक्त कर सकती है।
हरदीप पुरी का बड़ा बयान
एक विशेष साक्षात्कार में मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा,
"जैसे मैंने कृष्णा-गोदावरी बेसिन के बारे में कहा था, अब अंडमान क्षेत्र में भी हरे अंकुर (oil shoots) नजर आ रहे हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि हम जल्द ही वहां ‘गयाना’ जैसा बड़ा खोज करने जा रहे हैं।”
गयाना मॉडल बना प्रेरणा स्रोत
![]() |
गौरतलब है कि दक्षिण अमेरिकी देश गयाना में एक्सॉन मोबिल, हेसी कॉर्पोरेशन और CNOOC कंपनियों ने मिलकर समुद्र तट से दूर 11.6 अरब बैरल से अधिक तेल खोजा था। इस खोज ने गयाना को वैश्विक तेल उत्पादन मानचित्र पर शीर्ष 20 देशों में ला खड़ा किया और देश की अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाया।
भारत अब उसी राह पर अग्रसर दिख रहा है — लेकिन अपने स्थानीय संसाधनों और तकनीक के दम पर।
क्यों अहम है अंडमान सागर क्षेत्र?
अंडमान सागर न केवल सामरिक दृष्टि से बल्कि भूगर्भीय रूप से भी अत्यंत समृद्ध माना जाता है। यहां समुद्र की गहराई में वर्षों से तेल एवं गैस अन्वेषण की संभावनाएं जताई जाती रही हैं। अब आधुनिक तकनीकों और सटीक डेटा विश्लेषण की मदद से यह संभावना वास्तविकता में बदल सकती है।
अर्थव्यवस्था पर संभावित असर
- भारत की तेल आयात लागत में भारी गिरावट संभव है।
- रोज़गार के नए अवसर और स्थानीय उद्योगों को बल मिलेगा।
- देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती मिलेगी।
- रुपये पर दबाव कम होगा और चालू खाता घाटा सुधरेगा।
अंतिम निष्कर्ष
यदि अंडमान सागर में यह अनुमानित तेल भंडार खोज में सटीक साबित होता है, तो यह भारत के लिए वही साबित हो सकता है जो गयाना के लिए 2015 की खोज बनी थी — एक ऊर्जा क्रांति की शुरुआत। अब सभी की नजरें उन परीक्षण ड्रिलिंग पर हैं, जिनसे देश की आर्थिक दिशा हमेशा के लिए बदल सकती है।

