G7 सम्मेलन में पीएम मोदी का कड़ा संदेश: आतंकवाद को समर्थन देने वाले देशों को चुकानी होगी कीमत, दोहरे मापदंडों पर उठाए सवाल
कनाडा (Kananaskis), 18 जून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को G7 शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन आतंकवाद पर दुनिया को कड़ा संदेश दिया। G7 आउटरिच सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि "जो देश आतंकवाद को समर्थन देते हैं, उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी।" पीएम मोदी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ ठोस और निर्णायक कार्रवाई करने की अपील की।
उन्होंने दोहरे मापदंडों को भी आड़े हाथों लिया और कहा, "हम अपने-अपने हितों के अनुसार तो पाबंदियाँ तुरंत लागू कर देते हैं, लेकिन जो देश खुलेआम आतंकवाद का समर्थन करते हैं, उन्हें पुरस्कृत किया जाता है – यह नीति अब नहीं चल सकती।"
'पहलगाम आतंकी हमला मानवता पर हमला था'
पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले का भी उल्लेख किया, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। उन्होंने कहा कि इस हमले के बाद भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने बताया कि पीएम मोदी ने G7 नेताओं को भारत के सख्त रुख से अवगत कराया और उन्हें इस जघन्य हमले की निंदा करने के लिए धन्यवाद भी दिया।
वैश्विक दक्षिण की चिंताओं को भी उठाया
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में विकासशील देशों, विशेषकर वैश्विक दक्षिण (Global South) की चिंताओं को भी सामने रखा और G7 देशों से इन मुद्दों को गंभीरता से लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि यदि दुनिया को एक बेहतर भविष्य की ओर ले जाना है तो सभी देशों को मिलकर काम करना होगा।
द्विपक्षीय मुलाकातें और भारत-कनाडा संबंधों में नई शुरुआत
प्रधानमंत्री ने सम्मेलन के दौरान कई वैश्विक नेताओं से मुलाकात की, जिनमें कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी, ब्रिटेन के पीएम कीर स्टार्मर, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे-म्युंग, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी और ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अल्बनीज शामिल थे।
भारत और कनाडा ने आपसी राजनयिक संबंधों को सामान्य करने की दिशा में भी कदम बढ़ाए हैं। दोनों देशों ने नए उच्चायुक्त नियुक्त करने पर सहमति जताई है, जिससे वीजा और व्यापार से जुड़ी सेवाओं में सुधार की उम्मीद है।
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री मोदी का यह संबोधन न केवल भारत के आतंकवाद के प्रति अडिग रुख को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक पटल पर भारत की भूमिका को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम भी साबित होता है। G7 जैसे मंच से उन्होंने दुनिया को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि अब आतंकवाद के समर्थन पर चुप्पी नहीं चलेगी – कार्रवाई करनी ही होगी।

