India’s Andaman Islands Drilling Update: ओएनजीसी (ONGC) और ऑयल इंडिया (Oil India) की गहराई में नई खोज – गैस रिजर्व मिलने की पुष्टि
भारत के ऊर्जा क्षेत्र के लिए अंडमान (Andaman Islands) से एक बड़ी खबर सामने आई है। Oil India Limited (OIL) ने अपने दूसरे वेल Vijaya Puram-2 में गैस मिलने की पुष्टि की है। वहीं, ONGC (Oil and Natural Gas Corporation) अंडमान के अल्ट्रा-डीपवॉटर (Ultra Deepwater Exploration) ब्लॉक्स में लगातार ड्रिलिंग अभियान चला रही है, जो भारत की energy security और frontier basin exploration के लिए बेहद अहम कदम माना जा रहा है।
🔹 Vijaya Puram-2 में गैस की पुष्टि — 87% Methane Content
Oil India ने सितंबर के आखिर में घोषणा की कि उसके Vijaya Puram-2 वेल (Block AN-OSHP-2018/1) में परीक्षण के दौरान गैस फ्लो दर्ज किया गया है। शुरुआती विश्लेषण में गैस में 87% Methane content पाया गया है, जो संभावित रूप से commercial gas reserves की ओर इशारा करता है।
यह खोज OIL के Andaman drilling campaign की पहली सफल खोज है। कंपनी ने नवंबर 2024 में इस अभियान की शुरुआत की थी, जिसमें Blackford Dolphin semi-submersible rig के जरिए तीन वेल ड्रिल करने की योजना है। इस $154 million drilling program में Vijaya Puram-1 (पहला वेल) सूखा रहा था, जबकि दूसरे वेल से अब उम्मीदें बढ़ गई हैं।
OIL ने रिग को 2026 तक के लिए फर्म कॉन्ट्रैक्ट पर रखा है, जिसमें विस्तार का विकल्प भी मौजूद है।
🔹 ONGC का Ultra Deepwater अभियान – नए बेसिन की संभावनाएं
दूसरी ओर, ONGC (Oil and Natural Gas Corporation) भी अंडमान सागर में अपने तीन वेल्स के ultra-deepwater drilling campaign को आगे बढ़ा रही है।
पहला वेल ANE-E (Block AN-UDWHP-2020/1) मार्च से मई 2025 के बीच ड्रिल किया गया था। यह क्षेत्र backarc basin में आता है, जो संभावित रूप से Gulf of Moattama Basin (Myanmar) से जुड़ा हुआ है — वही क्षेत्र जहां PTTEP-operated Zawtika gas field 2014 में प्रोडक्शन में आया था।
दूसरा वेल (Block AN-UDWHP-2020/2) मई-जुलाई 2025 के बीच वेस्ट अंडमान में ड्रिल किया गया, जो भूगर्भीय रूप से outer Bengal Fan और Andaman Arc दोनों से मेल खाता है। अगर यहां हाइड्रोकार्बन मिलता है, तो यह offshore Bangladesh के लिए भी basin opener साबित हो सकता है।
तीसरे वेल की ड्रिलिंग फिलहाल mid-October 2025 तक जारी है, जो ANE-E से लगभग 26 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह वेल DDKG1 drillship से संचालित हो रहा है और Zawtika field से केवल 100 किमी दक्षिण-पश्चिम दिशा में है — यानी यह वही sedimentary system है जो म्यांमार और सुमात्रा के किनारों पर पहले से गैस उत्पादक है।
🔹 Strategic Importance: भारत की Energy Frontier में अंडमान की भूमिका
अंडमान बेसिन अब भारत की energy exploration frontier के रूप में उभर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यहां commercial hydrocarbon reserves की पुष्टि होती है, तो यह न सिर्फ import dependency कम करेगा बल्कि भारत को Bay of Bengal energy corridor में एक नई स्थिति दिलाएगा।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, Oil India और ONGC दोनों ही आने वाले महीनों में अपने टेस्टिंग रिजल्ट्स जारी करेंगी। विशेषज्ञों की नजर अब इस बात पर है कि क्या अंडमान क्षेत्र भारत के लिए अगला “energy hotspot” बन सकता है।
🔹 निष्कर्ष (Conclusion)
Oil India की Vijaya Puram-2 gas discovery और ONGC के ultra-deepwater exploration program ने भारत के offshore energy sector में नई उम्मीदें जगा दी हैं। आने वाले महीनों में अगर इन ब्लॉक्स से commercial scale reserves की पुष्टि होती है, तो अंडमान भारत के next major hydrocarbon province के रूप में उभर सकता है।
