"India’s Great Nicobar Project: Balancing Strategy and Sustainability"

India’s Great Nicobar Project: रणनीतिक महत्व और पर्यावरणीय चुनौतियों के बीच फंसा ‘महाआकांक्षी सपना’


भारत सरकार का Great Nicobar Project — जो एक International Transshipment Port, Greenfield Airport, और नई Smart Township* के निर्माण का वादा करता है — अब अपने सबसे कठिन चरण में पहुंच गया है। यह प्रोजेक्ट न केवल India’s Indo-Pacific Strategy का अहम हिस्सा माना जा रहा है, बल्कि देश की Maritime Security और Economic Growth को भी नई दिशा देने वाला बताया जा रहा है।
पर सवाल यह है कि क्या इतना बड़ा विकास कार्यक्रम Andaman and Nicobar Islands के नाज़ुक पारिस्थितिक संतुलन और जनजातीय समाज के अस्तित्व को खतरे में डाल देगा?


🌏 Andaman and Nicobar Islands का रणनीतिक महत्व


Andaman and Nicobar Islands (ANI) भारत के लिए सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि National Security की दृष्टि से भी बेहद अहम हैं।

572 द्वीपों की इस श्रृंखला में से केवल 37 द्वीप आबाद हैं। इनमें South Andaman सबसे विकसित है, जिसकी राजधानी Port Blair (Sri Vijaya Puram) भारत का सामरिक केंद्र है।


यह द्वीपसमूह Malacca Strait से महज़ 90 मील की दूरी पर स्थित है — वही समुद्री मार्ग जहां से दुनिया के एक-तिहाई व्यापारिक जहाज़ गुजरते हैं। इसीलिए भारत ने यहां अपना एकमात्र Tri-Service Theatre Command स्थापित किया है, जो Navy, Army, और Air Force को एक साथ जोड़ता है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार इस क्षेत्र की Geostrategic Value को रेखांकित कर चुके हैं। भारत ने Indonesia के साथ Aceh-Andaman Connectivity और Sabang Port जैसे प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू किया है। साथ ही, MILAN जैसे Multilateral Naval Exercises भी यही से संचालित होते हैं।


⚓ Great Nicobar Project: भारत का ‘Mini Singapore’ सपना


भारत का NITI Aayog 2020-21 में Great Nicobar Island Development Plan लेकर आया था। इसमें प्रमुख रूप से चार घटक शामिल हैं:


1. Galathea Bay में एक International Transshipment Port


2. एक Greenfield International Airport


3. Township Development


4. Renewable Energy Projects


सरकारी रिपोर्ट्स के मुताबिक, India’s Transshipment Cargo का करीब 75% हिस्सा फिलहाल Colombo और Singapore जैसे विदेशी बंदरगाहों से गुजरता है।

Galathea Bay Port बनने से भारत इस बिज़नेस का बड़ा हिस्सा अपने नियंत्रण में ला सकता है।

अंदाज़ा है कि इस प्रोजेक्ट से 50,000 से अधिक नौकरियां और अरबों डॉलर का वार्षिक राजस्व उत्पन्न हो सकता है।


लेकिन मौजूदा हकीकत कुछ और कहती है —

Singapore Port ने 2023 में 39 Million TEUs संभाले, जबकि भारत का Mundra Port केवल 7 Million TEUs तक पहुंचा।

नई बंदरगाह योजना में 16 Million TEUs का लक्ष्य रखा गया है, जो महत्वाकांक्षी तो है, लेकिन व्यावहारिक नहीं माना जा रहा।


🌿 Environmental & Tribal Concerns: विकास की भारी कीमत


Great Nicobar भारत के सबसे जैवविविध इलाकों में से एक है —

यहां Leatherback Turtle, Mangrove Forests और Coral Reefs जैसी दुर्लभ प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

पर्यावरणविदों का कहना है कि बंदरगाह के लिए Rainforest Clearing और Dredging Activity से लाखों पेड़ काटे जाएंगे और समुद्री जीवन को भारी नुकसान पहुंचेगा।


सरकारी आंकड़े बताते हैं कि लगभग 10 लाख पेड़ काटने की अनुमति दी गई है, जबकि स्वतंत्र पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है।

Galathea Bay Wildlife Sanctuary को भी इस परियोजना के लिए Denotify किया जा चुका है।


साथ ही, यह क्षेत्र Seismic Zone में आता है — 2004 की Tsunami Tragedy आज भी स्थानीय लोगों की स्मृति में ताज़ा है।


🏞️ Tribal Rights & Cultural Sensitivity


इस द्वीप पर Shompen और Nicobarese Tribes जैसे आदिवासी समुदाय रहते हैं।

रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार ने Little Andaman के Onge Reserve Area का 57% हिस्सा भी Aerocity और Tourism Projects के लिए Denotify किया है।

जनजातीय अधिकार कार्यकर्ता चेतावनी दे रहे हैं कि मेनलैंड से आने वाली जनसंख्या और निर्माण गतिविधियां इन जनजातियों के लिए सांस्कृतिक और स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकती हैं।


💰 Economic Viability: अरबों डॉलर का जोखिम


Great Nicobar Port Project की लागत लगभग USD $5 Billion आंकी गई है।

पहला चरण 2028 तक पूरा होने की उम्मीद है, जबकि पूर्ण विकास 2058 तक खिंच सकता है।

फिलहाल कोई बड़ा Private Investor आगे नहीं आया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इतने दूरस्थ इलाके में Material Transport और Fuel Supply जैसी लॉजिस्टिक चुनौतियाँ इसे बेहद महंगा बना देंगी।


🤝 संतुलन की दिशा में कदम


भारत को अब एक Balanced Development Model अपनाने की ज़रूरत है, जिसमें:


Ecological Protection और Economic Growth का संतुलन हो,


Transparent Regulations और Public-Private Partnerships को बढ़ावा मिले,


और Local Tribes की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।



Vizhinjam Deep-Sea Port (Kerala) जैसी परियोजनाओं की तरह, यहां भी Environmental Audits और Local Consultations की प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए।


भारत अपने ASEAN और Quad Partners — जैसे Japan, Australia, Singapore, और USA — को इस विकास यात्रा में शामिल कर सकता है। इससे Technology Sharing, Sustainable Infrastructure और Environmental Monitoring जैसे क्षेत्रों में सहयोग मिलेगा।


🔍 निष्कर्ष


India’s Great Nicobar Project भारत के लिए एक Double-Edged Sword बन चुका है —

एक ओर यह Maritime Power और Indo-Pacific Leadership की दिशा में बड़ा कदम है,

तो दूसरी ओर यह Ecological Stability और Tribal Survival की गंभीर परीक्षा भी है।

भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत इस द्वंद्व को कैसे संतुलित करता है —

क्या वह “Mini Singapore” का सपना पूरा करेगा, या Great Nicobar की हरी-भरी आत्मा को खो देगा?

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